Kamakhya Siddhi Aur Kamakhya Tantra By Swami Ashutosh Giri Ranadhir Prakashana, Haridwar free books download in Hindi

Book detail
| Book Name | Kamakhya Siddhi Aur Kamakhya Tantra By Swami Ashutosh Giri Ranadhir Prakashana, Haridwar free books download in Hindi | 
| Author | Swami Ashutosh Giri | 
| Category | Tantra mantra and Spiritual | 
| Language | Hindi | 
| Page | 284 | 
| Quality | HD | 
| Size | 86.4 MB | 
| Download Status | Available for Download | 
मारण मन्त्र प्रारम्भ
ओम नमो काल रूपाय अमुकं भस्मी कुरु कुरु स्वाहा।
प्रथम पन्द्रह जपे फिर भांग, नमक, चूरण दीप-शिखा पर एक सौ नौ बार मन्त्र पढ़कर जलाएँ तो दुश्मन मृत्यु मुख में पतित होता है। परन्तु मारण कर्म प्रयोग के पहले स्थिर चित्त से विचार लें। गुरु की आज्ञा लेकर जिस मनुष्य ने उसके पुत्र स्त्री बंधु आदि का नाश किया हो तथा वह पापी पुरुष हो तब ही प्रयोग करें नहीं तो फल उल्टा हो सकता है। मैं स्पष्ट लिख देता हूँ। इसमें सोच विचार लें।
ॐ नमो अमुकस्य हन हन स्वाहा।
कनेर के फूल, सरसों तेल में मिला यह मन्त्र पढ़ दस हजार हवन करें तो शत्रु मारण होए।
ॐ ऐं ह्रीं वहा विकराल भैरवाय ।
ज्वालाक्ताय शत्रु दह दह हन हन पच पच ऊन्मूलय ऊन्मूलय ॐ ह्रीं ह्रीं फट।
श्मशान में भैंसा के चर्म पर बैठ काले ऊन के द्वारा सात रात्रि तक जप करें प्रत्येक रात्रि १०८ मन्त्र जपें तथा सवा सेर सरसों का हवन करें तो अवश्य शत्रु नाश होए।
“When we’re growing up there are all sorts of people telling us what to do when really what we need is space to work out who to be.” – Elliot Page
 
					
