Tantra Ke Divya Prayog R Krishna by R Krishna PDF Book Free Download

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Tantra Ke Divya Prayog R Krishna by R Krishna PDF Book Free Download

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Book detail

Book NameTantra Ke Divya Prayog R Krishna by R Krishna PDF Book Free Download
AuthorR Krishna
CategoryTantra mantra and Spiritual
LanguageHindi
Page196
QualityHD
Size39 MB
Download StatusAvailable for Download

माँ बगला की ब्रह्मास्त्र साधना

लड़ाई-झगड़ा, शत्रुओं से परेशानी, मुकदमेबाजी और न्यायालय आदि में पूर्ण विजय पाने के लिये बगला महाविद्या की पूजा-अर्चना करने, उनके अनुष्ठान सम्पन कराने का प्रचलन अनंतकाल से चला आ रहा है। प्राचीनकाल से ही नहीं, आधुनिक समय में भी असंख्य लोगों ने माँ बगला की कृपा से शत्रु बाधाओं एवं न्यायालय में विचाराधीन मुकदर्मो आदि समस्याओं पर विजय पायी है तथा अन्य नाना प्रकार की आपदाओं से मुक्ति प्रास की है। माँ बगला की कृपा से उनके भक्त साधारण स्थिति से उठकर असाधारण रूप से उच्च पद तक पाने में सफल हुये हैं।

माँ बगला की उपासना, अनुष्ठान आदि शत्रु बाधाओं के दौरान ही नहीं, अपितु अन्य अनेक कार्यों के निमित्त भी की जाती है। इनका सम्बन्ध एकाएक आर्थिक हानि से बचने, किसी अज्ञात भय से बचने, किसी के धोखे में फंस जाने, अकारण किसी के साथ लड़ाई-झगड़े में पड़ जाने, किसी अज्ञात शत्रु द्वारा परेशान किये जाने की भी समस्यायें हो सकती हैं। ऐसी समस्त प्रतिकूल स्थितियों से भी महामाई अपने साधकों को सहज ही निकाल लेती है। महामाई बगला की अनुकंपा से शीघ्र ही बिगड़े हुये काम बनने लगते हैं।

माँ बगला का दस महाविद्याओं में आठवां स्थान है। दरअसल आद्य शक्ति के दस रूप दसों दिशाओं में विद्यमान रहते हैं। उनमें दक्षिण दिशा की स्वामिनी महाविद्या बगला को माना गया है, इसलिये इनकी साधना का दक्षिण मार्ग ही अधिक प्रचलित है।

शिवपुराण और देवी भागवत पुराण में शिव के दस रूपों की दस महाशक्तियां भी अताई गई हैं। यह दस महशक्तियां ही संसार में दस महाविद्याओं के रूप में पहचानी एवं पूजी जाती हैं। तंत्रशास्त्र में जगह-जगह इस बात का उल्लेख आया है कि शक्तिविहीन शिव भी शव के समान हो जाते हैं। शिव की जो भी क्षमताएं एवं शक्तियां हैं, उनके मूल में एक मात्र आद्यशक्ति ही कार्य करती है।

शिव की दस आद्यशक्तियां हैं, जो इस प्रकार जानी जाती हैं- महाकाल शिव की शक्ति काली नामक महाविद्या है, शिव के काल भैरव रूप की शक्ति भैरवी नामक महाविद्या है, कबंध नामक शिव की शक्ति छिन्नमस्तका है, त्र्यंबकम् नामक शिव रूप की शक्ति हैं भुवनेश्वरी नामक महाविद्या, ठीक उसी प्रकार एकवक्त्र नामक महारुद्र शिव की महाशक्ति बगलामुखी नामक महाविद्या है।

शिव के इस रूप को वल्गामुख शिव के नाम से भी जाना जाता है। इसी आधार पर उनकी महाशक्ति को वल्गामुखी भी कह दिया जाता है।

आपके विचार आपकी वास्तविकता को आकार देते हैं, इसलिए उन्हें जुड़े रखें।

“Your thoughts shape your reality, so choose them wisely.”

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