Sarva Karma Anushthan Prakash Shabar Mantra Tantra Siddhi Rahasy Free Books Download Hindi

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Sarva Karma Anushthan Prakash Shabar Mantra Tantra Siddhi Rahasy Free Books Download Hindi

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Book detail

Book NameSarva Karma Anushthan Prakash Shabar Mantra Tantra Siddhi Rahasy Free Books Download Hindi
AuthorP. Ramesh Chandra Mishra
CategoryTantra mantra and Spiritual
LanguageHindi
Page436
QualityHD
Size121.7 MB
Download StatusAvailable for Download

मंत्र जपते समय तत्संबन्धी देवता के स्वरूप एवं मंत्रार्थ तथा अभीष्ट कार्य तीनों का मन्यन साथ चलता है तभी साधना का फल मिलता है।

भायना- दृढ़ भावना एवं कल्पना के संयोग से दिव्य तेज का प्रादुर्भाव होता है। स्वप्न के समान दृश्य देवता व अभीष्ट कार्य साधक के मानस जितने दृढ़ होंगे वैसा ही फल शीघ्र होगा।

जैसे- धन प्राप्ति प्रयोग में भावना करे कि देवता की कृपा मेरे पर हो रही है, कार्य व्यापार के विघ्न दूर हो रहे है। देवता कि कृपा से धन वृद्धि हो रही है। आरोग्य लाभ विषय में कल्पना करें की ग्रहदोष, टोना टोटका दोष, व पीड़ा दोष दूर होकर रोगी को लाभ मिल रहा है, अमुक अंग पुष्ट ही रहा है।

विवाह कार्य हेतु कल्पना करें कि उसके सम्बन्ध की चर्चा पक्की हो रही है, सुगन का मुहुर्त निकाल रहे है। राजपक्ष-वाद-विवाद, सभाजित प्रयोग में भावना करें कि मेरा आत्मबल बढ़ रहा है, शत्रु संघ में फूट पड़ रही है। सामने वाली पार्टी के सहयोगी एवं वकील की बुद्धि भ्रमित हो रही है मुझे विजय प्राप्त हो रही है, आदेश मेरी इच्छानुसार प्राप्त हो रहा है।

मारण प्रयोग में शत्रु को घोर पीड़ा की भावना, स्तंभन में शत्रु की समस्त गति, बुद्धि के स्तंभन घ कार्य-व्यवसाय में रुकावट की भावना करे तो मोहन, आकर्षण एवं वशीकरण में व्यक्ति के अपने अनुकूल होने की भावना करे।

दृढ़ भाषनाओं का ओज पुन्ज व्यक्ति के हृदय व नेत्र भाग से निकालता है जो प्रारब्ध में भी परिवर्तन करने की शक्ति रखता है। शाप, आशीर्वाद द्वारा निकलने वाली किरणे ही व्यक्ति के लिये फल प्रतिपादित करती है।

सत्रु को हानि पहुंचाने वाली प्रक्रिया में मंत्र को रोष चित्त से करना पड़‌ता है जिससे विस्फोटक तरंगे अगले व्यक्ति को हानि पहुंचा सके।

टेलीपेची द्वारा अपने विचारों को दुसरे तक पहुँचाकर उसके मन में तत्संबन्धी कल्पना को रोपित कर संदेश पहुंचाया जाता है।

ध्वनि- हम जो शब्द बोलते है उससे ध्वनि तरंग पैदा होती है। ध्वनि तरंगो से वातावरण एक आकृति पैदा होती है। भावनात्मक रूप से की गई स्तुति से उत्पन्न तरंगे आकाश उसी आकार में स्वरूप ग्रहण करती है जैसी कल्पना की गई है। अतः कभी-कभी साधना में ऐसा महसूस होता है कि कोई मेरे निकट है, कोई मेरे पास से गुजरा है कोई परछाई मेरे आस-पास है।

कुछ तरंगे हृदय को सकून देती है तो कुछ तरंगे मन में क्षोभ पैदा करती है। किसी से मीठा बोलते है तो प्रिय लगता है एवं कहीं शोर सुनाई देता है तो मन में क्षोभ पैदा होता है

“Whenever you see a successful business, someone once made a courageous decision.”

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