Vatuk Bhairav Puja Herath by Omkar Nath Ganjoo Shastri free books download in Hindi

Book detail
Book Name | Vatuk Bhairav Puja Herath by Omkar Nath Ganjoo Shastri free books download in Hindi |
Author | Omkar Nath Ganjoo Shastri |
Category | Tantra mantra and Spiritual |
Language | Hindi |
Page | 116 |
Quality | HD |
Size | 25.7 MB |
Download Status | Available for Download |
- शिवरात्री का पूजन-यजन रात्रि के समय ही किया जाता है। भगवान शिव तमोगुण प्रथान संहार के देवता है, अतः तमोमयी रात्रि से उनका अधिक स्नेह है। रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कृष्णपक्ष की त्रयोदशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्त्रोत चन्द्रमा भी पूर्णरूप से क्षीण होता है और जीवों के भीतर तामसी प्रवृत्तियाँ कृष्णपक्ष की रात में बढ़ती जाती हैं। अतः रात्रि का समय भगवान के शरण जाना उपयुक्त समझा जाता है ताकिणारे अंदर निहित तामसी प्रवृत्तियाँ नष्ट हो।
- तिलक लगाने से ‘आज्ञाचक्र’ (दोनो गौहों के बीच का स्थान) जागृत होता है। ज्ञान तन्तुओं को शीतलता मिलती है। यह सम्मान सूचक भी है। तिलक लगाने से साधुता एवं धार्मिकता का आभास होता है।
- कुशा कुचालक (नान-कन्डक्टर) होती है। इसलिये पूजा-पाठ, जप-होम आदि में कुशा का आसन बिछाया जाता है। जिससे हमारी संचित शक्ति को पृथ्वी अपनी और न खींचे। अनामिका में पवित्री धारण करने का अभिप्राय भी यही है कि कहीं हमारा हाथ बार-बार इधर-उधर करने से भूमि को न छुये। यदि भूल से हाथ पृथ्वी पर पड़ जाये तो भूमि से कुशा वत्र ही स्पर्श होगा। इसके अतिरिक्त पवित्री मन की चंचलता को दूर करती है। कुशा राक्षसों से श्राद्ध की रक्षा करती है।
- प्राणायाम करते समय मिले हुए आक्सीजन से फेफड़ों में पहुंचा हुआ अशुद्ध रक्त शुद्ध होता है। इस शुद्ध रक्त का हृदय पंपिंग क्रिया द्वारा शरीर में संचार कर देता है।
- मौली एक प्रकार का रक्षा सूत्र है। इसके वाँघने से त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों महादेवियों-महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की कृपा प्राप्त होती है। त्रिदोष वात, पित्त, कफ का शमन होता है।
- देवी के मन्दिर की एक बार, सूर्य के मन्दिर की सात बार, गणेश के मन्दिर की तीन बार, विष्णु के मन्दिर की चार बार और शंकर के मंदिर की आधी बार परिक्रमा करनी चाहिए।
- तीन प्रकार के आहार
- सतोगुणी आहार- आयु, सत्वगुण, वल, आरोग्य सुख और प्रसन्नता बढ़ाने वाले, हृदय को शक्ति देने बाले, रसयुक्त तथा विकने आहार सात्विक मनुष्य को प्रिय लगते हैं।
- रजोगुण आहार अति कड़वे, खट्टे, अति नमकीन, अति गरम, अति तीखे, रूखे और अति दाह कारक। ऐसे आहार दुख शौक और रोगों को देने वाले हैं।
- तमोगुणी आहार – जो भोजन सड़ा हुआ, रसरहित, दुर्गन्धित बासी और झूठा हो, जो महान् अपवित्र भी हो। ऐसा तामस आहार मनुष्य को प्रिय लगता है।
“Boss up and change your life / You can have it all, no sacrifice” — Lizzo